Not known Details About bhairav kavach

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महाकालोऽक्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा।

ಕಥಯಾಮಿ ಶೃಣು ಪ್ರಾಜ್ಞ ಬಟೋಸ್ತು ಕವಚಂ ಶುಭಮ್



संहारभैरवः पातु मूलाधारं च सर्वदा ॥ १८॥

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आयुर्विद्या यशो धर्मं बलं चैव न संशयः ।

 

हंसबीजं पातु हृदि सोऽहं रक्षतु पादयोः ॥ १९॥

ह्रींकारपूर्वमुद्धृत्य वेदादिस्तदनन्तरम् ॥ १८॥

कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच कालभैरव का एक शक्तिशाली भजन है। ऐसा कहा जाता here है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।



संहारभैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः

बिल्वमूले पठेद् यस्तु पठनाद् कवचस्य यत् ।

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